चैलेंज लेने से पहले खुद को उसके लिए तैयार करें

Prepare yourself for the challenge before taking it
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 चैलेंज लेने से पहले खुद को उसके लिए तैयार करें

ऑनलाइन कोचिंग पोर्टल शुरू करने के लिए आईएएस की जॉब छोड़ने वाले रोमन सैनी बता रहे हैं सक्सेज मंत्र
कोई भी जन्म से ही जीनियस नहीं होता लेकिन सभी के पास इतनी नॉलेज, टैलेंट और कैलीबर जरूर होता है कि वह जीवन में जो चाहे अचीव कर सकता है। जरूरत बस इतनी है कि हम उस डर से बाहर निकले जो हमें अलग-अलग वजहों से रोके रखता है। दरअसल हम सभी साधारण इंसान हैं और केवल मेहनत के बल पर ही हम किसी मुकाम तक पहुंच सकते हैं। ऐसे में अगर हम चुनौतियों से डर जाएंगे तो पूरी मेहनत भी नहीं कर पाएंगे। अपनी यात्रा से मैंने सीखा के बिना डरे मेहनत करने से सफलता जरूर मिलती है। 16 साल की उम्र में मैंने एम्स का एंट्रेंस एग्जाम पास किया और पढ़ाई के दौरान ही रेपुटेड जनरल में मेरा रिसर्च पेपर पब्लिश हुवा। एमबीबीएस करने के बाद में यूपीएससी की परीक्षा पास की और 22 साल की उम्र में आईएएस बना। इसी बीच में अपने दोस्त के स्टार्टअप आइडिया को आगे बढ़ाने में मदद करने लगा और मुझे उसका आईडिया इतना पसंद आया कि मैंने उसके लिए आईएएस की नौकरी छोड़ दी। हमने अनअकैडमी नाम की एक वेबसाइट की शुरुआत की जो फ्री ऑनलाइन कोचिंग देने के साथ ही वेबीनार्स ट्यूटोरियल्स के माध्यम से स्टूडेंट्स का मार्गदर्शन करती है

  • कंफर्ट जोन से बाहर निकलना होगा

अनअकैडमी का हमारा प्रयोग सफल रहा। दरअसल जीतने और सफल होने के लिए सबसे जरूरी यह है कि आप यह सीखने की कोशिश करें कि आप को कैसे अपने लक्ष्य तक पहुंचना है। कोई भी चैलेंज लेने से पहले खुद को उस चैलेंज के लिए तैयार करें। अनअकैडमी की सफलता में इस बात की भी भूमिका है कि हम जानते थे कि एक स्टूडेंट को परीक्षाओं के लिए किस तरह के लेशंस की जरूरत होती है। अपनी इस सफलता से हमने बहुत कुछ सीखा। सबसे पहला यह कि सफलता हासिल करने के लिए हमें अपने कंफर्ट जोन से बाहर आना चाहिए, इससे ज्यादा घातक आपके लिए कुछ नहीं है। लेकिन बिना सोचे समझे कुछ ना करें। कहने का अर्थ है कि नापतोल कर ही रिस्क ले

  • कॉन्फिडेंट बनेंगे तो जरुर सफल होंगे

 मुझसे अक्सर यह पूछा जाता है कि एग्जाम के लिए आत्मविश्वास का होना कितना जरूरी है। मेरा जवाब होता है कि अगर आप 50 सालों तक भी तैयारी करेंगे तो भी परीक्षा का डर कहीं नहीं जाएगा। मेरे ख्याल में कॉन्फिडेंस नहीं बल्कि कॉन्पिटेंस सफलता की चाबी है। विश्वास क्षणिक हो सकता है, परंतु आपका सामर्थ्य नहीं । अगर आप किसी काम को हजार घंटे तक करेंगे तो आप निश्चित ही उसे करने वाले 95% लोगों से बेहतर होंगे। सफलता के रास्ते में एक बहुत ही बड़ा सबक यह भी हो सकता है कि हम शिकायतें करना बंद कर दें, लोगों से बहस करना बंद कर दें और अपने आप से यह प्रश्न पूछना भी बंद कर दें कि हम जिंदगी में क्या करेंगे, बल्कि सारा ध्यान उस काम पर लगाए जो हम कर सकते हैं।
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